नई दिल्ली. तू माने या न माने दिलदारा, असां ते तेनु रब मनिया…..जैसे बहुर्चित गीत को गाने वाले देश में सूफी संगीत का दिग्गज प्यारे लाल वडाली का शुक्रवार तड़के निधन हो गया। गुरुवार शाम उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अमृतसर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां आज तड़के करीब 4 बजे उन्हें अंतिम सांस ली। वह 75 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद पार्थिव शरीर को पैतृक गांव ले जाया गया है। पंजाबी सूफी गानों के लिए महशूर वडाली ब्रदर्स में उस्ताद प्यारे लाल छोटे थे, जबकि उनके बड़े भाई पूरनचंद वडाली है, जो एक समय पहलवानी भी कर चुके हैं। खास बात ये है कि एक समय बॉलीवुड के लिए गाना गाने से मना कर देने वाले वडाली बंधुओं ने बाद में हिन्दी फिल्मों के लिए कई दमदार गानें रिकॉर्ड किए।
देश के मशहूर पटियाला घराने से ताल्लुक रखने वाले वडाली ब्रदर्स तू माने या न माने, हीर और याद पिया की जैसे सूफी गानों के याद किए जाते हैं। इस जोड़ी ने कई भजन भी गाए हैं। वडाली ब्रदर्स को उनके काम के लिए 1992 में संगीत नाटक अकादमी का प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया. 1998 में उन्हें तुलसी अवॉर्ड दिया गया था।